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भारतीय क्रिकेट हमेशा से नई प्रतिभाओं को पहचानने और उन्हें मौका देने में अग्रणी रहा है। चाहे गांव से आए खिलाड़ी हों या घरेलू टूर्नामेंट में चमकते सितारे, भारत ने कई युवाओं को मंच दिया है, जिन्होंने कम उम्र में इंटरनेशनल क्रिकेट में कदम रखकर इतिहास रच दिया।
हाल ही में वैभव सूर्यवंशी नाम के खिलाड़ी ने सिर्फ 13 साल और 243 दिन की उम्र में इंडिया अंडर-19 टीम में खेलकर सनसनी मचा दी। हालांकि वह अभी तक भारत की सीनियर टीम के लिए नहीं खेले हैं, लेकिन आईपीएल 2025 में राजस्थान रॉयल्स ने उन्हें ₹1.10 करोड़ में खरीदा, जिससे साफ है कि वो भविष्य के चमकते सितारे हैं।
भारत के 5 सबसे कम उम्र के क्रिकेटर्स
आइए अब उन 5 दिग्गज भारतीय खिलाड़ियों की बात करें जिन्होंने सबसे कम उम्र में इंटरनेशनल क्रिकेट खेला और इतिहास बना दिया:
सचिन तेंदुलकर – 16 साल 205 दिन
जिसे पूरी दुनिया ‘क्रिकेट का भगवान’ कहती है, वह हैं सचिन रमेश तेंदुलकर। उन्होंने 1989 में सिर्फ 16 साल की उम्र में पाकिस्तान के खिलाफ डेब्यू किया और उसके बाद जो इतिहास रचा, वो किसी परिचय का मोहताज नहीं।
- 100 इंटरनेशनल शतक
- 34,000+ रन
- 24 साल का करियर
सचिन आज भी करोड़ों युवाओं के प्रेरणास्त्रोत हैं और उन्हें ‘मास्टर ब्लास्टर’ और ‘लिटिल मास्टर’ जैसे नामों से जाना जाता है।
पार्थिव पटेल – 17 साल 153 दिन
2002 में इंग्लैंड के खिलाफ डेब्यू करने वाले पार्थिव पटेल उस वक्त भारत के सबसे युवा विकेटकीपर बने थे।
कम हाइट के बावजूद उनका कॉन्फिडेंस, कीपिंग स्किल्स और शांत स्वभाव उन्हें भीड़ से अलग बनाता था। उन्होंने कई मैचों में क्राइसेस से टीम को उबारा और लंबे समय तक बैकअप विकेटकीपर बने रहे।
मनिंदर सिंह – 17 साल 222 दिन
1982 में डेब्यू करने वाले बाएं हाथ के इस स्पिनर को कभी बिशन सिंह बेदी का उत्तराधिकारी कहा गया।
- 35 टेस्ट और 59 वनडे
- 1988 एशिया कप विजेता टीम के सदस्य
उनकी बॉल टर्न कराने की कला और कलाई का कमाल उन्हें उस दौर के सबसे स्मार्ट स्पिनर्स में गिनाता है।
हरभजन सिंह – 17 साल 288 दिन
1998 में भारत के लिए डेब्यू करने वाले ‘टर्बनेटर’ यानी हरभजन सिंह ने 2001 की ऑस्ट्रेलिया सीरीज में हैट्रिक लेकर विश्व पटल पर नाम बना लिया।
- 103 टेस्ट, 417 विकेट
- 2007 T20 वर्ल्ड कप और 2011 वनडे वर्ल्ड कप के हीरो
हरभजन की फायर और जुनून भरी गेंदबाज़ी आज भी याद की जाती है।
लक्ष्मी रतन शुक्ला – 17 साल 320 दिन
1999 में भारत के लिए डेब्यू करने वाले लक्ष्मी रतन शुक्ला भले ही इंटरनेशनल क्रिकेट में ज्यादा समय तक नहीं टिके, लेकिन उन्होंने डोमेस्टिक क्रिकेट में बेहतरीन परफॉर्मेंस किया।
बाद में वह राजनीति में आए और बंगाल के मंत्री बने, जहां उन्होंने युवाओं के लिए कई बेहतरीन पहल की।
उम्र सिर्फ एक संख्या है, जुनून असली पहचान है
ये पांचों खिलाड़ी इस बात का जीता-जागता उदाहरण हैं कि सपने उम्र नहीं देखते, और अगर टैलेंट और मेहनत हो, तो किसी भी उम्र में इतिहास रचा जा सकता है।
इनमें से कुछ ने लंबा इंटरनेशनल करियर बनाया, तो कुछ ने डोमेस्टिक या दूसरी भूमिका में योगदान दिया, लेकिन सभी ने यह दिखाया कि भारत में प्रतिभा की कोई कमी नहीं।