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“BJP में जाने की कोई बात नहीं”: ऑपरेशन सिंदूर के बाद शशि थरूर का बड़ा बयान

वरिष्ठ कांग्रेस नेता और तिरुवनंतपुरम से चार बार सांसद चुने गए डॉ. शशि थरूर ने बीजेपी में शामिल होने की अटकलों पर विराम लगाते हुए स्पष्ट किया है कि उनके हालिया लेख को “राजनीतिक पाला बदलने” के संकेत के रूप में न देखा जाए।

उन्होंने कहा कि यह लेख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में किए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक अभियान की सफलता और राष्ट्रीय एकता को दर्शाने के लिए था।


थरूर ने क्या कहा?

थरूर ने NDTV से बातचीत में कहा:

“यह मेरा बीजेपी में कूदने का संकेत नहीं है जैसा कि कुछ लोग गलत रूप से व्याख्या कर रहे हैं। यह एक राष्ट्रहित में एकजुटता का प्रतीक है, न कि राजनीतिक मतभेदों का।”

उन्होंने यह भी जोड़ा कि उन्होंने लेख में प्रधानमंत्री की कूटनीतिक सक्रियता और अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की स्थिति को मज़बूत करने के प्रयासों की सराहना की, जो भारत की वैश्विक छवि के लिए फायदेमंद है।


प्रधानमंत्री कार्यालय ने किया लेख साझा, अटकलें तेज

थरूर के लेख को खुद प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने X (पूर्व ट्विटर) पर साझा किया, जिसके बाद राजनीतिक हलकों में उनकी पार्टी निष्ठा को लेकर चर्चाएं तेज़ हो गईं।

लेख में थरूर ने पीएम मोदी को “भारत की प्रमुख संपत्ति” बताया था और वैश्विक स्तर पर उनके योगदान को ‘प्रशंसनीय’ कहा।


“यह भारत की विदेश नीति है, किसी पार्टी की नहीं”

शशि थरूर ने दोहराया कि विदेश नीति पर राजनीतिक मतभेदों को रोक देना चाहिए। उन्होंने कहा:

“भारत की कोई BJP या कांग्रेस विदेश नीति नहीं होती — सिर्फ एक ही विदेश नीति होती है: भारतीय विदेश नीति और यह राष्ट्रीय हित के लिए होती है।”


G-23 और कांग्रेस के साथ मतभेद

थरूर 2021 में उस G-23 समूह का हिस्सा थे, जिसने गांधी परिवार के नेतृत्व पर सवाल उठाए थे। तब से उनके कांग्रेस से रिश्ते कुछ असहज नजर आ रहे हैं। हालांकि, उन्होंने NDTV से बातचीत में कहा कि यह केवल “कुछ नेतृत्व तत्वों के साथ मतभेद” हैं।

उन्होंने यह भी जोड़ा:

“मैं पिछले 16 वर्षों से पार्टी और इसकी विचारधारा के प्रति वफादार रहा हूं।”


क्या थरूर कांग्रेस में बने रहेंगे?

भविष्य को लेकर संशय बना हुआ है, लेकिन थरूर के इस बयान से साफ है कि वे वर्तमान में पार्टी नहीं छोड़ रहे हैं और भारत के हित में उन्होंने जो भी कार्य किया है, वह राष्ट्रीयता और कर्तव्यबोध से प्रेरित था, न कि किसी राजनीतिक रणनीति से।