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मैच फिक्सिंग” बयान से गरमाई सियासत: राहुल गांधी बनाम बीजेपी – लोकतंत्र पर सवाल या हार का बहाना?

जून 2025 — लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता राहुल गांधी एक बार फिर अपने तीखे बयानों को लेकर सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर ऐसा बयान दिया है जिसने भारतीय राजनीति में नई बहस को जन्म दे दिया है। राहुल गांधी ने चुनाव को “मैच फिक्सिंग” करार देते हुए सीधे तौर पर चुनाव आयोग, बीजेपी और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं।

राहुल गांधी का आरोप: “लोकतंत्र में धांधली का ब्लूप्रिंट”

राहुल गांधी ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में विस्तार से बताया कि किस तरह से चुनाव में धांधली की गई। उनके अनुसार:

  • निर्वाचन आयोग की नियुक्ति प्रक्रिया पर कब्जा कर लिया गया।
  • फर्जी वोटरों को जोड़ा गया
  • मतदान प्रतिशत को कृत्रिम रूप से बढ़ाया गया
  • लक्षित क्षेत्रों में फर्जी मतदान करवाया गया
  • और अंत में, सभी सबूतों को छिपा दिया गया

उन्होंने यह भी कहा कि इसी “चुनावी साजिश” को अब बिहार समेत अन्य राज्यों में भी दोहराने की तैयारी है। उनके अनुसार, इस तरह के कृत्य लोकतंत्र के लिए “जहर” हैं और इससे जनता का चुनावी प्रक्रिया से विश्वास उठ सकता है।

बीजेपी का जवाब: “राहुल गांधी हार से बौखलाए”

राहुल गांधी के इस बयान पर भारतीय जनता पार्टी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है:

  • प्रवीण खंडेलवाल (सांसद) ने कहा: “राहुल गांधी को आत्म-विश्लेषण करना चाहिए, जनता ने उन्हें पूरी तरह नकार दिया है।”
  • चंद्रशेखर बावनकुले (राज्य अध्यक्ष, बीजेपी महाराष्ट्र) ने इसे “बचकाना बयान” बताया और कहा कि “यह चुनाव आयोग जैसी निष्पक्ष संस्था पर हमला है।”
  • देवेंद्र फडणवीस (मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र) ने यहां तक कह दिया कि “राहुल गांधी ने बिहार में अपनी हार स्वीकार कर ली है।”

क्या कहते हैं आँकड़े?

राहुल गांधी के अनुसार, 2019 में महाराष्ट्र में 8.98 करोड़ पंजीकृत मतदाता थे, जो मई 2024 में 9.29 करोड़ हुए और फिर मात्र 5 महीनों में नवंबर 2024 में यह आंकड़ा 9.70 करोड़ हो गया। यह वृद्धि सवालों के घेरे में है और कांग्रेस नेता इसी को आधार बनाकर चुनावी धांधली का दावा कर रहे हैं।

लोकतंत्र की परीक्षा या राजनीतिक रणनीति?

राहुल गांधी के आरोप गंभीर हैं, क्योंकि यह सिर्फ किसी राजनीतिक दल पर नहीं बल्कि भारत की चुनावी व्यवस्था की नींव पर सवाल उठाते हैं। वहीं बीजेपी इसे एक हारे हुए नेता का “डैमेज कंट्रोल” मान रही है। सच्चाई क्या है, यह समय बताएगा – लेकिन यह स्पष्ट है कि 2025 के चुनावी माहौल में यह बयान एक बड़े राजनीतिक नैरेटिव की नींव रख चुका है।