पुरी (ओडिशा) में जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 के दौरान हुए दर्दनाक हादसे में 3 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 10 से अधिक लोग घायल हुए। यह घटना गुंडीचा मंदिर के पास उस समय हुई जब रथों के दर्शन के लिए हजारों की भीड़ उमड़ पड़ी और भगदड़ मच गई। मृतकों में दो महिलाएं और एक 70 वर्षीय बुजुर्ग शामिल हैं, जो सभी खुर्दा जिले के निवासी बताए जा रहे हैं।
कैसे हुआ हादसा?
घटना सुबह 4:30 बजे की है जब भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के तीन रथ गुंडीचा मंदिर के पास पहुंचे। दर्शन के लिए भारी संख्या में भीड़ जुटी थी। जैसे-जैसे भीड़ बढ़ती गई, कुछ लोग गिर पड़े और वहां भगदड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई। प्रभाती दास, बसंती साहू और प्रेमकांत मोहंती नामक श्रद्धालुओं की मौके पर ही मौत हो गई।
भीड़ नियंत्रण में लापरवाही का आरोप
स्थानीय मीडिया और प्रत्यक्षदर्शियों का आरोप है कि पुलिस और प्रशासन ने भीड़ नियंत्रण के पर्याप्त इंतजाम नहीं किए थे। कुछ घायलों की हालत नाजुक बनी हुई है और उन्हें नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
पुरी के कलेक्टर सिद्धार्थ शंकर स्वैन ने जानकारी दी कि मृतकों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है और जांच के बाद ही मौत के कारणों की पुष्टि हो सकेगी। उन्होंने कहा कि सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए गए थे, लेकिन भीड़ अचानक बेकाबू हो गई।
राजनीतिक बयानबाज़ी शुरू
इस हादसे के बाद राजनीतिक विवाद भी शुरू हो गया है। बीजेडी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने देरी और अव्यवस्था पर नाराजगी जताते हुए कहा, “महाप्रभु जगन्नाथ से प्रार्थना है कि वे उन सभी को माफ करें जिन्होंने इस दिव्य उत्सव को इस बार खराब किया।“
वहीं, ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने बिना नाम लिए बीजेडी को निशाने पर लेते हुए कहा, “बीते वर्षों में बीजेडी सरकार ने भी कई बार गलतियाँ की हैं और भगवान जगन्नाथ का अपमान किया है।” उन्होंने बताया कि 1977 से अब तक रथों का आगमन गुंडीचा मंदिर में दूसरे दिन ही हुआ है।
जगन्नाथ रथ यात्रा का महत्व
हर साल आयोजित होने वाली यह रथ यात्रा भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की गुंडीचा मंदिर तक यात्रा होती है, जहां वे सात दिन रुकते हैं और फिर वापसी यात्रा (बहुड़ा यात्रा) के जरिए जगन्नाथ मंदिर लौटते हैं। लाखों श्रद्धालु इस पर्व में हिस्सा लेते हैं।
📝 निष्कर्ष
पुरी रथ यात्रा 2025 की शुरुआत ही एक बड़ी त्रासदी के साथ हुई है, जिससे पूरे राज्य में शोक और चिंता का माहौल है। प्रशासन को भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा प्रबंधन को और मजबूत करना होगा ताकि श्रद्धालुओं की आस्था और जान दोनों सुरक्षित रह सके।