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कुंभ में कल्पवासी लोगों 45 दिन का सफर कैसा होता है?

Mahakumbh Prayagraj 2025 : 45 दिन महाकुंभ में करोड़ों लोग आते जाते रहते हैं लेकिन दो समुदाय है जो संगम तट पर 45 दिन बिताते हैं पहले है नागा साधु दूसरा है कल्पवासी

आज बात करेंगे कल्पवासियों के बारे में और जानेंगे इनका खानपान कैसा होता है

प्रयागराज हर साल माघ के महीने में कल्पवासी संगम तट पर जमा होते हैं, 2012 से कल्पवास कर रहे राम मूरत मिश्रा जी बताते हैं कल्पवास का कुंभ से कोई संबंध नहीं पौराणिक कहानियां के मुताबिक भगवान नारायण ने ब्रह्मा को धरती बसाने के लिए कहा|ब्रह्मा ने कहा की धरती को रखते ही ओह समुद्र में डूब जाएगी

इस पर भगवान शिव ने बताया की 10 अश्वमेघ यज्ञ करने पर ही धरती को समुद्र से बचाया जा सकता है ब्रह्मा ने यज्ञ शुरू किया शिवा इसके यज्ञ चार्य बने इसी समय भगवान माधव 12 रूपों में प्रयागराज मैं बसे कहते हैं इस यज्ञ के प्रताप के बारे में सुनकर ऋषि मुनि प्रयागराज में आकर तप करने लगे ब्रह्मा ने जब दशमेश यज्ञ उसे समय सूर्य मकर राशि में था

तब से हर साल जब सूर्य मकर राशि में होता है तब लोग प्रयागराज संगम तट पर तप करने आते हैं चार युगों के 1000 बार बीतने पर भगवान ब्रह्मा का एक दिन पूरा होता है इसे कल्प कहा जाता है कहा जाता है संगम था माघ के महीने में तप करना एक कल्प बराबर पुण्य देता है इसलिए कल्पवास कहा जाता है

कल्पवास में खानपान का शक्ति नियम

45 दिन कल्पवास करने वाले खानपान के शक्ति नियम होते हैं कल्पवासी दुकान के खरीदे हुए भोजन नहीं कर सकते घर की पके हुई चीज खा सकते हैं संगम तट पर बने हुए शिविर में रह सकते हैं लहसुन प्याज और जैसे बीज वाली सब्जियां नहीं खा सकते भिंडी बैगन तरोई सुपाच्य नहीं माना जाता है कल्पवासियों को शुभ पक्ष ही भोजन करना पड़ता है.

दो बार स्नान एक बार भोजन

कल्पवास कि नियमों के आधार पर रोज सुबह ब्रह्म मुहूर्त में संगम पर स्नान किया जाता है और इसके बाद पूजा आरती की जाती है इसके बाद राम कथा पढ़ा जाता है या सुना जाता है शाम को दोबारा संगम में स्नान किया जाता है कुछ कल्पवासी उम्र की वजह से दोबारा स्नान नहीं कर सकते तो गंगाजल से शाम को आचमन करते हैं पूरे दिन में सिर्फ एक बार भोजन किया जाता है और सुबह शाम नाश्ता किया जा सकता है.

अब युवा भी करते हैं कल्पवास

अब युवा भी कल्पवास करने लगी है जैसे की लोगों का मानना है दुनिया से भाग दौड़ से दूर स्वस्तिक भोजन और भक्ति भजन के साथ डिटॉक्स होने का अच्छा मौका है 45 दिन का अवसर कुछ लोगों को ही मिलता है.