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इस मंत्र के बिना पूजा मानी जाती है अधूरी, शिव जी की आरती के पहले होता है उच्चारण

Karpoorgauram karunavataram in hindi : हिंदू धर्म यानी सनातन धर्म विभिन्न मान्यताओं को मानने वाला है। हिंदू धर्म में मंत्र उच्चारण करना बहुत ही लाभदायक होता है। मंत्र उच्चारण से धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक महत्व भी देखने को मिलता है। मंत्र उच्चारण से हमारे शरीर में कम्पन देखने को मिलता है, जिससे हमारे अंदर ऊर्जा का संचार होता है।

कोई भी मांगलिक अनुष्ठान में एक मंत्र जरूर बोला जाता है, आज हम उसी मंत्र का हिंदी मतलब देखेंगे, तो चलिए जानते हैं।

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम् ।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि ।।

इस मंत्र का उच्चारण हर धार्मिक एवं मांगलिक कार्य के पहले किया जाता है। इस मंत्र में भगवान शिव की प्रशंसा एवं  स्तुति  भगवान विष्णु जी के द्वारा की गई है, जिसका अर्थ  इस प्रकार है :

  • कर्पूरगौरं : अर्थात् कपूर के समान गौर वर्ण वाले यानी गोरे।
  • करुणावतारं : करुणा के अवतार।
  • संसारसारं : समस्त श्रृष्टि के सार है जो।
  • भुजगेन्द्रहारम् : जो गले में भुजंगो यानी सर्प की माला धारण किए हो।
  • सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि : जो शिव, पार्वती के साथ सदैव मेरे हृदय में निवास करते हैं, उनको मेरा शत शत नमन है।

पूजा में करते है इसका उच्चारण (कर्पूरगौरं करुणावतारं )

प्रतिदिन मंदिर में होने वाली पूजा के पश्चात इसका उच्चारण होता है, कहा जाता है की भगवान विष्णु ने माता पार्वती और शिव की शादी की दौरान इसका उच्चारण भगवान शिव के स्वरूप के वर्णन करते हुए सुनाया था।

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