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भारत-पाकिस्तान रिश्तों में हड़कम्प: बिलावल की प्रत्यर्पण पहल पर तलहा सईद का तीखा हमला

पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री और पीपीपी अध्यक्ष बिलावल भुट्टो ज़र्दारी ने हाल ही में एक बड़ा बयान दिया जिसमें उन्होंने कहा कि आतंकवाद के संदर्भ में “आईसी ऑफ कॉन्सर्न” यानी चिंता केंद्र में खड़े व्यक्तियों को भारत प्रत्यर्पित करने में पाकिस्तान को कोई आपत्ति नहीं होगी, बशर्ते भारत कानूनी प्रक्रिया में पूरी तरह सहयोग करे Pakistan Today। उन्होंने इस पहल को विश्वास-building पहल या Confidence-Building Measure (CBM) करार दिया, लेकिन यह बयान पाकिस्तानी राजनीति में भूचाल ला गया।

तलहा सईद ने बिलावल को आड़े हाथों लिया

हालाँकि, लश्कर-ए-तैयबा प्रमुख हाफ़िज़ सईद के बड़े बेटे और संगठन के दूसरे नंबर के नेता तलहा सईद ने इस पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने बिलावल के बयान को “राजनीतिक बेईमानी” कहा और बताया कि ऐसा बयान “राष्ट्रनीति, राज्य नीति और पाक की संप्रभुता के खिलाफ” है । उनका कहना था कि बिलावल या तो वास्तविक परिस्थितियों से अनजान हैं या फिर भारत के एजेंडे के साथ हैं। तलहा ने सवाल उठाया कि “क्या कोई राज्य प्रतिनिधि अपने ही नागरिकों को दुश्मन देश को सुपुर्द करने की बात कह सकता है?” mint। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि ऐसी विचारधाराएँ आधिकारिक स्तर पर अपनाई गयीं, तो पाकिस्तान की साख धूमिल होगी।

लेट की प्रतिक्रिया और तलहा की सजगता

शीर्ष कट्टरपंथी संगठन लेट ने भी बिलावल की टिप्पणी को एक राष्ट्रीय धोखा करार दिया। तलहा ने इस अवसर को “निदायक” बताया, यह आरोप लगाते हुए कि बिलावल “भारत की भाषा बोल रहे हैं” और पूरी दुनिया में पाकिस्तान का अपमान फैला रहे हैं । उन्होंने कहा कि पिता हाफ़िज़ सईद पाकिस्तान के लिए कायमी सोच चुके हैं और उन्हें गैर कानूनी नहीं ठहराया जाना चाहिए। तलहा ने तेज शब्दों में कहा: “बिलावल असलियत से अनजान हैं या फिर पुरानी पाकिस्तान विरोधी नीतियों के एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं” mint

बिलावल की बात कहां से आई?

बिलावल का यह बयान 4 जुलाई को कैटार-आधारित अल जज़ीरा को दिए गए एक साक्षात्कार का हिस्सा था। उन्होंने कहा कि दोनों देशों की सरकारों को आतंकवाद से निपटने में पारदर्शिता दिखानी चाहिए, जिसमें संभावित प्रत्यर्पण पर आपसी सहयोग शामिल है । लेकिन उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तान ने आतंक वित्त जैसे अपराधों में सईद व़ अन्य को ही गिरफ्तार किया है, जबकि भारत को उनके खिलाफ अतिरिक्त साक्ष्य जुटाने में सहयोग करना होगा ।

कहीं पाकिस्तान में टकराव की राह?

यह विवाद दर्शाता है कि पाकिस्तान में सत्ता-संघर्ष केवल राजनीतिक पटल तक सीमित नहीं हैं, बल्कि कट्टरपंथी वक्रों के बीच विचारधाराओं की भी भयंकर लड़ाई हो रही है। बिलावल का बयान अगर सहमति मिली तो यह पाकिस्तान में एक नई बहस शुरु कर सकता है, लेकिन तलहा के हमले से स्पष्ट है कि लेट जैसे संगठनों और उनके समर्थकों में विरुद्ध धारणा पनप चुकी है। पाकिस्तान में सिविल-सेना-आस्था का ट्वीस्ट इस मामले में एक बार फिर दिखाई दे रहा है।