Pakistan Water Crisis: भारत के बाद अब अफगानिस्तान ने भी पाकिस्तान को पानी देने से इनकार कर दिया है। इसके चलते खैबर पख्तूनख्वा में गंभीर पेयजल संकट खड़ा हो गया है। अब पाकिस्तान को वैकल्पिक स्रोतों से पानी जुटाने के लिए हर साल करीब ₹2250 करोड़ खर्च करने पड़ सकते हैं।
🌊 भारत और अफगानिस्तान ने कैसे बनाया पाकिस्तान पर जल प्रहार?
- भारत ने सिंधु जल संधि रद्द की और अपनी नदियों पर पानी रोकना शुरू किया।
- अफगानिस्तान ने भारत की मदद से बनाए गए शहतूत और अन्य बांधों से पाकिस्तान को मिलने वाला पानी रोक दिया।
यह घटनाक्रम ऐसे समय हुआ है जब पाकिस्तान पर आतंकवाद को लेकर वैश्विक दबाव भी बना हुआ है।
🗺️ कौन-कौन सी नदियां पाकिस्तान को पानी देती थीं?
- काबुल नदी – पेशावर, नौशेरा, अटक के लिए मुख्य जल स्रोत।
- कुनर नदी – सिंचाई और कृषि के लिए अहम।
- गोमल, पिशिन-लोरा, कंधार-कंद – बलूचिस्तान में जल आपूर्ति की रीढ़।
इन सभी नदियों पर अब अफगानिस्तान नियंत्रण बढ़ा रहा है।
🚧 भारत की भूमिका: जल परियोजनाएं जो पाकिस्तान के लिए बनीं मुसीबत
| परियोजना | नदी | भारत की भूमिका |
|---|---|---|
| शहतूत बांध | काबुल | $236 मिलियन की सहायता |
| कुनर नदी बांध | कुनर | निर्माण की योजना जारी |
| सलमा बांध | हरि | पहले से निर्माण पूरा |
अफगानिस्तान की नई सरकार (तालिबान) भी इन परियोजनाओं को जारी रख रही है।
🚨 जल संकट से पाकिस्तान को क्या नुकसान होगा?
🌾 कृषि पर असर:
- खरीफ फसलों को मिलेगा 21% कम पानी
- खाद्य उत्पादन में भारी गिरावट संभव
🚱 पेयजल संकट:
- पेशावर और नौशेरा में सतही पानी की आपूर्ति बंद
- लगभग 2 करोड़ लोग प्रभावित
⚡ बिजली संकट:
- तरबेला बांध जैसे प्रोजेक्ट्स में बिजली उत्पादन घटेगा
- औद्योगिक उत्पादन और घरेलू उपयोग प्रभावित
📉 आर्थिक संकट:
- कृषि GDP में 20% की हिस्सेदारी
- खाद्य वस्तुओं की कीमतों में तेजी और महंगाई
💰 पाकिस्तान को कितना महंगा पड़ेगा ये पानी?
| स्रोत | अनुमानित खर्च (सालाना) |
|---|---|
| भूजल पंपिंग | ₹1825 करोड़ |
| टैंकर सप्लाई | ₹5.84 करोड़ |
| डिसेलिनेशन तकनीक | ₹365 करोड़ |
| कुल खर्च | ₹2250 करोड़ |
ध्यान दें: यह खर्च केवल पेयजल आपूर्ति पर आधारित है। इसमें कृषि, बिजली और पर्यावरणीय क्षति शामिल नहीं है।
🇵🇰 पाकिस्तान के लिए आगे क्या?
- अंतरराष्ट्रीय दबाव: भारत और अफगानिस्तान के साथ कूटनीतिक वार्ताएं मुश्किल होंगी।
- स्थानीय अशांति: जल संकट से बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में जनविरोध बढ़ सकता है।
- संभावित समाधान: भूमिगत जल संरक्षण, जल पुनर्चक्रण और जल नीति में सुधार की आवश्यकता।