गांव का रहन सहन अभी भी लोगो को भूत भाता है, लोग गांव में जाना पसंद करते है, क्योंकि वहां का वातावरण अभी भी स्वच्छ है। गांव में सुविधाएं कम हुआ फिर भी शुकून का केंद्र माना जाता है। आज हम भारत के एक ऐसे गांव के बारे में बात करने वाले है, जो दो देश की सीमा को साझा करता है, यानी इस गांव के लोगों को दो देशों की नागरिकता मिली है।
कौन सा है गांव?
अगर बात करें दोहरी नागरिकता वाले गांव की तो वह नागालैंड का एक लोंगवा गांव है, यहां के लोगों को दोहरी नागरिकता मिली है, अपितु भारत का संविधान यह करने की इजाजत नही देता। यहां के लोगों का रहन सहन थोड़ा अलग है, इनका बेडरूम भारत में तो किचन म्यामार में पड़ता है। लोंगवा गांव नागालैंड के मोन जिले के सबसे बड़े शहर में से एक है। जो भारत और म्यांमार के सीमा के करीब आता है।
यह गांव कोन्याक जनजातियों का है, जहां के लोग शिर के शिकार के लिए जाने जाते हैं। योध्या प्रतिष्ठा के अलावा यह गांव अपने अनोखे रहन सहन के लिए जाना जाता है। यह गांव सीमा पर बसे होने के बावजूद अपनी सांस्कृतिक पहचान को नहीं भुला है।
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