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भीलनियों के राम: शबरी और भगवान राम की भक्ति की अमर कथा | भजन का अर्थ और महत्व

पंथ निहारत, डगर बहारथ,
होता सुबह से शाम,
कहियो दर्शन दीन्हे हो,
भीलनियों के राम ।

पंथ निहारत, डगर बहारथ,
होता सुबह से शाम,
कहियो दर्शन दीन्हे हो,
भीलनियों के राम ।
कहियो दर्शन दीन्हे हो,
भीलनियों के राम ।

गुरुवर मतंग जी,
रन ले राम रंग में,
बालिका से प्रीत भई ली,
ओहि रे तरंग में,
नाम रूप अरु लीला धाम के,
नाम रूप अरु लीला धाम के,
सुमिरन आठों याम,
कहियो दर्शन दीन्हे हो,
भीलनियों के राम ।

अधम से अधम,
अधम अति नारी,
उत चक्र व्रती के,
कुमार धनुर्धारी,
चीखी चीखी बैर के राखव,
आईहेही भोग के काम,
कहियो दर्शन दीन्हे हो,
भीलनियों के राम ।

माड़ो से भागल,
अनुरागी संजागल,
शबरी शिकारी भइनी,
भक्ति में पाग़ल,
उहे डगर तू धरहो राजन,
पइबा परम विश्राम,
कहियो दर्शन दीन्हे हो,
भीलनियों के राम ।

भीलनियों के राम: शबरी की भक्ति और भगवान राम का प्रेम

पंथ निहारत, डगर बहारथ, होता सुबह से शाम… कहियो दर्शन दीन्हे हो, भीलनियों के राम
यह सिर्फ एक भजन नहीं, बल्कि भक्ति की वह मधुर सुगंध है जिसमें प्रेम, विश्वास और समर्पण घुला हुआ है। यह भजन शबरी की उस अटूट भक्ति को दर्शाता है, जिसने वर्षों तक भगवान राम के आने की प्रतीक्षा की।

पंथ निहारत, डगर बहारथ, होता सुबह से शाम... कहियो दर्शन दीन्हे हो, भीलनियों के राम
पंथ निहारत, डगर बहारथ, होता सुबह से शाम… कहियो दर्शन दीन्हे हो, भीलनियों के राम

शबरी कौन थीं?

शबरी एक भीलन (जनजातीय महिला) थीं। वह सामाजिक दृष्टि से भले ही निम्न वर्ग की मानी गईं, परंतु उनकी आंतरिक भक्ति और प्रेम उच्चतम स्तर का था
गुरु मतंग ऋषि ने उन्हें बताया था कि एक दिन भगवान राम स्वयं उनसे मिलने आएंगे
बस, तब से शबरी रोज़ रास्ता देखती रहीं — सुबह से शाम तक।


भजन का भावार्थ

“गुरुवर मतंग जी, रन ले राम रंग में,
बालिका से प्रीत भई ली, ओहि तरंग में।”

शबरी बचपन से ही भक्ति की धारा में रंग चुकी थीं। उनके हृदय में प्रेम इतना सच्चा था कि भगवान राम ने भी उन्हें निराश नहीं किया।


सच्चा प्रेम रूप, जाति-वर्ग से ऊपर

यह भजन हमें यह सिखाता है कि —
भगवान को जाति, वर्ग, रूप, बाहरी सजावट नहीं, बल्कि हृदय की सच्चाई चाहिए।

शबरी के तोड़े हुए बेरी (फलों) को भी भगवान राम ने प्रेमपूर्वक स्वीकार किया।
क्योंकि वह भक्ति, समर्पण और स्नेह से परिपूर्ण थे।


भक्ति का संदेश

“उहे डगर तू धरहो राजन, पइबा परम विश्राम।”

अर्थ →
यदि मनुष्य शबरी की तरह सच्चे दिल से भक्ति करे, तो जीवन में परम शांति और भगवान का साक्षात्कार संभव है।


निष्कर्ष

यह भजन हमें बताता है कि भगवान हर हृदय में बसे हैं, चाहे वह किसी भी वर्ग या परिस्थिति का क्यों न हो।
यदि प्रेम और सच्चाई हो —
तो भगवान स्वयं चलकर आते हैं।